छोरी कमली-किशोर चौधरी



"छोरी कमली"- वह सबकुछ छोड़छाड़ के नाची होगी..💓

रेगिस्तान की तपतिश से गर कोई प्रेम कहानियां कहे और लिखे तो झुककर आनंद लेना मुझे आत्मिक सुख लगता है क्योंकि प्रेम,मोहब्बत की शान में गढ़े गए कशीदे रेगिस्तान की ऐतिहासिक विरासत पर गुमान करते आए है...

"मूमल" नाम सुना होगा...

आदरतुल्य केसी जी को मैं व्यक्तिगत तौर पे तो नही जानता लेकिन मेरे एक मित्र ने उनकी कलमकारी से परिचय करवाया ओर तो और उनकी यह पुस्तक "छोरी कमली" अपने आप मे आकर्षक व उनका लेखकीय परिचय करवाने वाली कृति है जिसकी वजह से इसका रसास्वादन करना पड़ा...

प्रेम की अथाह बारीकियों से युक्त यह पुस्तक कुल छह कहानियों में विभक्त है. दिल के सड़े हुए भाग को यह सभी कहानियाँ रूहानी सुकून देती है....

"मैंने सबकुछ तुझको दे दिया है। अब मैं पक्की मंगती हो गई हूँ." कमली के मुंशीड़े के प्रति अधिकार भाव वाले यह शब्द वर्तमान में प्रेम की पिछड़ी रैंकिंग को एक नई जान दे गए क्योंकि प्रेम एक आत्मिक सुख है उसको बयां करते समय एक सौरमयी प्रवाह होना आवश्यक है और किशोर चौधरी जी ने इसी परंपरा को बखूबी निभाया.

बहुतों को पढा गया,बहुत सी कहानियां भी पढ़ी गई लेक़िन मैं मानता हूँ सत्य और साहस को साथ लेकर पिरोए गए प्रत्येक शब्द वजनदार और असरदार होते है केसी जी ने श्रुति सिंह के माध्यम से मध्यम वर्ग की असलियत पर किया गया साहसपूर्ण कथ्य है और कभी न भुला जाने वाली कृति भी.

"मुंशी मांगणियार के सुरों को क़ुदरत ने बहुत सा आशीष दे रखा है" इसलिए कि वह कमली सब कुछ छोड़कर अपने नाच से प्रेम-प्रवाह का बिछोना बिछा गयी...

केसी जी का व्यक्तित्व व कृतित्व अथाह समंदर है जिसकी बूंदों में शब्द,कथ्य,अर्थ,प्रवाह, प्रेम की मिठास है. समाज की पुरातन जातीय बंदिशें,धर्म का प्रेम के प्रति निकटेपन वाली परम्परा पर प्रेम रूपी हथियार से कभी न जीवित होने वाला प्रहार है...

खैर : प्रेम विजय ! और इस जीवंत दस्तावेज को शुभकामनाएं और आदरजोग किशोर चौधरी जी को लख-लख बधाइयाँ...!!

"अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता"
-नारायण

© Shoukat Ali Khan

Post a Comment

0 Comments