सरकारों और सिस्टम की नाकामयाबी का विरोध करना भी देशभक्ति की फेहरिस्त में आता है.

 


सरकारों और सिस्टम की नाकामयाबी का विरोध करना भी देशभक्ति की फेहरिस्त में आता है.


हम अभी आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं आत्मनिर्भर बनने की कोशिशें सिर्फ सियासी औऱ रंगीन और चमचमाती सोशल मीडिया की पोस्ट में होती हैं भयावह स्थिति में सारा सिस्टम चरमरा जाता है. कोरोनाकाल में हॉस्पिटल में बेड की व्यवस्था सिफारिश से होती है हालांकि कुछ फ़रिश्ते लगातार सोशल मीडिया पर लोगो की मदद कर रहे हैं. अमीर-गरीब का फासला हरवक्त बड़ा होता जा रहा है चाहे मुश्किल वक्त भी क्यों ना हों ...


नव- नवेले युवा नेताओं की जिंदगी ट्विटर ट्रेंड तक समिति हो गयीं हैं जिनको दुआएँ मिलती है दलों के आईटी सेल से. 


दो दिन से मैं ट्विटर पर ट्रेड देख रहा था तो देश मे #IndiaStandWithIsriel और #IndiaStandwithPalestine कई दिनों से टॉप कर रहें थे. ना कि #IndiaNeedsOxyzen या #IndiaNeedsHospitals कारण था 


इजराइल-फिलिस्तीन विवाद में अधिकांश जज्बाती युवा इसलिए कूद पड़े क्योंकि लड़ाई मजहब की थी ना, उनको मजा आ रहा था, अपना ज्ञान पैलने में. मीडिया ट्रेनिंग दे रहा है इन युवाओं को. टीवी एंकर अपनी टीआरपी का जरिया धार्मिक टिप्पणी में ढूंढता ना कि गांवों की ग्राउंड रिपोर्ट कवर करने में और मीडिया को हम लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहते है, इतनी बुद्धिजीवीता हैं हमारे लोकतंत्र में.


भटके हुए युवाओं के लिए अच्छे अस्पतालों और युनिवर्सिटीज की तलाश नहीं रहती और ना हीं सतत विकास की, उनको व्हाट्सएप और फेसबुक यूनिवर्सिटी से आईटी में डिप्लोमा करने की जरूरत रहती हैं और बना-बनाया नफरती मसाला शेयर करने की.


देश की बदकिस्मती यह हैं कि आबादी के मामले में हम दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं इसलिए भयावहता को शून्य करने में वक्त लगता है. गर यही बड़ी युवा आबादी सिस्टम को सुधारने की कोशिशों में अपनी हिस्सेदारी दे तो अच्छा लगता हैं.


कदम-कदम पे मौत खड़ी है, पता नहीं कब यह हमें आगोश में ले जाए. इसलिए जीवन में हमारा किया गया काम ही याद रखा जाएगा. आने वाली पीढ़ियों की दुआएं मुश्किल से मिलती है....


कुछ लोगों को यह खरी लगेगी लेकिन हकीकत ऊंचाइयों से वाबस्ता करवाती है.


- शौक़त

Post a Comment

0 Comments