“खुशनसीब होते हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं
मर कर भी वो लोग अमर शहीद हो जाते हैं
करता हूँ तुम्हें सलाम-ए वतन पर मिट जाने वालो
तुम्हारी हर साँस के कर्जदार हैं हम देश वाले”
किसी गजरे की खुशबू
को महकता छोड़ आया हूँ,मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ, मुझे छाती से
अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ, मैं अपनी माँ की बाँहों को तरसता छोड़ के आया
हूँ....यह पुकार माँ भारती के लिए कारगिल में शहीद हुए एक जवान की डायरी से मिली
थी | बात करते हैं उस सेना की जिसका इतिहास 1599 ई. से शुरू होता हैं सिर्फ शुरु ही
नही बल्कि तथ्यों से लबरेज ऐसे इतिहास को गढ़ता हैं कि आज सारा हिंदुस्तान उसे
बारम्बार सलाम करता हैं | देश की सेना के वीर तथा उनके पराक्रम की प्रासंगिकता आज
दिनों-दिन बढती जा रही हैं क्योंकि जहाँ एक ओर विश्व खतरनाक मोड़ पर पहुँच गया हैं
जिसमें हमें अपने आप को सुरक्षित पाना एक चुनौती भरा कार्य बन गया हैं|
आईये
! गुणगान करते हैं देश की सेना के उन कार्यों कि जिसकों पाकर हमारा मुल्क उनको सौं-सौं
सलाम करता हैं | भारतीय सेना ने अब तक पांच युद्ध लड़े हैं वे भी बड़ी वीरता के साथ
| ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस सेना द्वारा किये गये प्रमुख
ऑपरेशनो में शामिल हैं | युद्ध के अलावा शांति के समय किये गए “ऑपरेशन
ब्रासस्टैक्स और व्यायाम शूरवीर” भी सराहनीय हैं| जब देश अंग्रेजो की गुलामी के
मकड़जाल में कैद था उस वक्त देश की जनता के साथ-साथ भारतीय सेना ने भी अंग्रेजो के
दमन को कुचलने का हर-एक प्रयास किया | 1962 में चीन के साथ
युद्ध किया | एक ओर देश को नई-नई आजादी ही मिली ही थी जिसमें देश हर ओर से पिछड़ा
हुआ तथा अंग्रेजो ने देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था फिर भी हिम्मत-ए-मर्द
मदद-ए-खुदा की आशावादी पंक्तियों को जहन में बैठा लिया| मुल्क के लिए कर गुजरने की
ठानी तथा चीन से युद्ध लड़ा हर चंद कोशिशों के बावजूद पराजय मिली | खैर! हार के पश्चात भी सेना के जवानों का धेर्य नही
टूटा तथा कारणों को जान अपने को हौंसला दिया
|
भारत की आजादी के बाद भारत –पाक का बंटवारा हुआ
जिसके पश्चात से ही दोनों देशो के बीच कश्मीर को लेकर तनावों का दौर शुरू हुआ जिसकी
परिणिति युद्ध के रूप में हुई, जो 8 सितम्बर 1965 को शुरू हुआ |
भारतीय सेना को अच्छी सफलता मिली जिसमें तोपखानों की मदद से तीन महत्वपूर्ण पहाड़ी
ठिकानों पर कब्जा जमा लिया, भारतीय सेना ने अपना रण कौशल दिखाते हुए जान की बाजी
लगाई तथा लाखो जवान शहीद हो गये |
दूसरी और
सन 1971 में पाकिस्तान के साथ दूसरा युद्ध शुरू हुआ
,युद्ध इसलिए हुआ कि पूर्वी बांग्ला (वर्तमान बांग्लादेश ) में पाकिस्तान के
सैनिकों के द्वारा वहां की जनता पर जुल्म ढहाए जा रहे थे पूर्वी बांग्ला ने भारत
की सेना से मदद की गुहार लगाई जिसके परिणाम स्वरूप भारत की सेना, जिसके खून में
उच्च त्याग,देश सेवा के साथ राष्ट्र के लिए बलिदान देने के हौसले के साथ
मानवतावादी संस्कारों से परिपूर्ण ने पाकिस्तान की सेना से कड़ा मुकाबला किया
हजारों पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमपर्ण
करने को मजबूर कर दिया जिसकी गूंज विश्व के हर कौने में गई और बांग्लादेश नाम के रूप
में एक नए राष्ट्र का अभ्युदय करवाया | कश्मीर की समस्या के सन्दर्भ में ही
पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ जिसे कारगिल संघर्ष कहा गया हिंदुस्तान की ओर से
30,000 सैनिक शामिल हुए | देश के जवानों फिर से शौर्य दिखाया और युद्ध को जीता
जिसके कारण देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारतीय अर्थव्यवस्था शिखर तक पहुंची
जिसका सारा श्रेय देश के जवानों को जाता हैं|
यह तो थे
बाहरी आक्रमण जिससे निपटने के लिए जल,थल और नभ सेनाओं ने देश की सुरक्षा की | यह
सर्व विदित हैं कि हिंदुस्तान की आबादी बड़ी विशाल हैं तथा स्थलाकृति में भी भिन्नता
पाई जाती हैं जिसके कारण यहाँ प्राकृतिक आपदाओं का आना भी स्वाभाविक हैं इस स्थिति
में भी भारतीय सेना ने देश की जनता की सुरक्षा की जिसमें कश्मीर का भूकम्प
,उतराखंड की त्रासदी, में किये गये कार्य प्रशंसनीय हैं| पिछले वर्ष उड़ी में हुए
हमले के जवाब में देश के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाक.को मुह्तौड़
जवाब दिया |
गर हमें कुछ सीखना हैं तो भारतीय सेना की तुलना
में अधिक प्रेरणादायक कुछ भी नहीं हैं | अरे! हमारा जीवन तो बड़ा ही सुकुन भरा हैं
जीवन देखना हैं तो सियाचिन जाकर देखिये जहाँ मेरे देश के जवान माँ भारती के
रक्षार्थ रात –दिन प्रहरी करते हैं | जरा ! याद उस लांसनायक हनुमनथप्पा को भी कर
लो जो 6 दिन तक करीब 35फीट बर्फ में दब गये थे फिर भी उनको चमत्कारिक रूप से
जिन्दा निकाला गया, इससे बड़ी जिजीविषा क्या हो सकती हैं? जो देश को प्रदान
की गयी हों | भरी आँखों से में फिर से सलाम और अभिनन्दन करता हूँ मेरे देश के
जवानों को जिसकी प्रशंसा के लिए .........
शुभ कर्मन से कबहूँ न डरौ
न डरौ अर सौं जब जाय लरों
निश्चय कर अपनी जीत करों
और सिख हों अपनी मन सिंयाँ
यह लालच हूँ गुन तोंन उचरों
जब आर की औध निधान बने
अत ही रन में जब जूझ मरौ ||
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शौकत अली खान
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