ठोस रणनीति और सहयोगात्मक रवैया से नक्सलवाद से निपटना होगा ...



   सोमवार को छतीसगढ़ के सुकमा में हुए दर्दनाक नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों को शहादत देनी पड़ी, एक सड़क बनाने के लिए अब तक की यह दूसरी घटना हैं | घायल जवानों के अनुसार यह हमला नक्सलियों ने गाँव वालों की सहायता से किया हैं, गर वे नक्सलियों पर सीधा हमला करते तो ग्रामीण भी मारे जाते जिसके कारण जवानों की मानवतावादी धारणा से उनकों बलिदान देना पड़ा |
बेशक! देश के वीर जवानों की शहादत पर हिंदुस्तान गर्व करता हैं ,लेकिन आख़िरकार यह नक्सली कब तक लहूलुहान की नीति अपनाते रहेंगे? जिससे देश को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं| देश में पहले नक्सलवाद से प्रभावित 4 राज्य थे अब यह बढ़कर 10 राज्यों में फ़ैल चूका हैं जो देश की आंतरिक सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती हैं| इनके बढ़ते फैलाव को रोकने के लिए दूरगामी रणनीति की जरूरत हैं, जल्दबाजी में लिया गया निर्णय घातक सिद्ध हो सकता हैं क्योंकि नक्सलवादी भी देश के ही नागरिक हैं | इसके लिए प्रभावित राज्य के सहयोग से इस पर लगाम लगाने की जरूरत हैं | यह तो हम जानते हैं कि आदिवासियों का जंगल से गहरा सम्बन्ध हैं जिसके बिना उनकी कल्पना असम्भव हैं किन्तु औद्योगीकरण के द्वारा तेजी से आर्थिक विकास करने की सरकारी नीति से आदिवासी खनिज-सम्पदा ,वन,जल भूमि सम्पदा से वंचित हो रहे हैं|
     राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में नक्सलियों को लाने और उनके पुनर्व्यवस्थापन के लिए रोजगारपरक व्यवस्था कर प्रभावित राज्यों के लिए विशेष पैकेज की आवश्यकता हैं | इस समस्या के उन्मूलन के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति का विकास करना होगा क्योंकि बिना दृढ़ संकल्प के किसी भी उपलब्धि की आशा नही की जा सकती| शासकीय योजनाओं का समुचित किर्यान्वयन और उनमे पारदर्शिता की व्यवस्था आवश्यक हैं जिससे भ्रष्टाचार की समस्या हल होगी तथा नक्सलवाद प्रभावित लोगो में सरकार के प्रति विश्वास बना रहेगा | कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने के समुचित प्रयास करने होगे जिससे वर्गभेद पर लगाम लग सके| साथ ही समुचित और सहयोगपूर्ण कानून व्यवस्था अपनानी होगी जिससे स्थानीय लोग नक्सलवादियों का प्रतिकार कर सके और उन्हें जीवनपयोगी आवश्यक चीजे उपलब्ध न कराने का साहस जुटा सके| आजीविकापरक और सर्वोपलब्ध की शिक्षा की व्यवस्था करनी होगी जिससे की वहाँ व्याप्त अशिक्षा को मिटाया जा सके | चीन और पाकिस्तान से नक्सलियों को प्राप्त होने वाले सहयोग को रोकने के लिए सुनियोजित राजनीतिक और सफल कूटनीतिक उपायों पर गंभीरतापूर्वक चिन्तन और हर एक प्रयासों का वास्तविक किर्यान्वयन करना होगा |

पुनश्च :- देश में बढती नक्सलवादी घटनाओं को रोकने के लिए आदिवासी लोगो को देश की मुख्यधारा से जोड़ना होगा तथा उनकी हरेक समस्या को जानकर सफल किर्यान्वयन की जरूरत हैं जिससे की इस दीर्घसमस्या को को जड़ से मिटाया जा सके |

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