
समय बदल रहा हैं जहाँ राष्ट्र के सामने बाहरी आक्रमणों से चुनौती हैं वही देश में आंतरिक असुरक्षा का माहौल बना हुआ हैं| यह सभी असुरक्षा के तत्व हमारे विकास में बाधक हैं | आज देश में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का माहौल बना हुआ हैं | तमाम राजनैतिक दल अपने –अपने फायदे के लिए जो भी करना चाहते हैं वे कर रहे है | इन बीच जनता कितनी सुरक्षित हैं यह सवाल मेरे मन में हमेशा के लिए उठता हैं |इतना विकास होने के बावजूद भी हमे अपना जीवन असुरक्षित लग रहा हैं | यह किसमे कमी हैं? कहीं सरकारे तो सही ढंग से काम नही कर रहा हैं ? यदि कर रही हैं तो प्रशासनिक लालफीताशाही तो नही हैं | हमने नव-भारत का सपना देखा हैं जो हमे और अपनी भावी पीढ़ी को उज्ज्वल और सुखद जीवन प्रदान करेगा,इसके लिए हमे बहुत से कार्यों को करना होगा |
बाहरी सुरक्षा कि बात करे तो चीन का बदलता नजरिया भारत के लिए किसी खतरे से कम नही हैं | बस हमे समय रहते हुए सतर्क रहना होगा | डोकलाम विवाद से चीन-भारत के बढ़ते तनाव को भारत की सुरक्षा सेजोड़ना उचित होगा | हमारे पास हथियारों के जखीरे में इजाफा तथा उच्च कवच की जरुरत हैं| तनाव का प्रमुख मुद्दा सीमा विवाद हैं जिसकों अंतराष्ट्रीय स्तर पर कुटनीतिक मदद से हल करना होगा|
हाल ही में देश में ऐसी घटनाएँ घटित हुई जो नव-भारत के लिए किसी चुनौती से कम नही हैं | हम इस बात को मानते हैं कि बड़ा राष्ट्र हैं यहां छिट-पुट घटनाएँ होना स्वाभाविक हैं, फिर भी हमे इन घटनाओं से बाज आना होगा |
उतरप्रदेश के गौरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन कि कमी से हुए 50 से अधिक बच्चों कि दर्दनाक मौत से सारा राष्ट्र दहल उठा था| मेडिकल कॉलेज कि लापरवाही ने कई माँ कि गौद को सुना कर दिया था | ऑक्सीजन कि खरीद और रिफिलिंग से जुडी लॉग बुक तथा प्रिंसीपल तथा ऐनिसथिजिया डिपार्टमेंट के हेड कि अनुपस्थिति इन बच्चो कि मौत का कारण बनी हैं| यह कॉलेज प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कि उदासीनता को दर्शाता हैं था मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करता हैं | देश में रहने वाला प्रत्येक नागरिको के स्वास्थ्य के प्रति सरकार को सजग रहना हमेशा जरूरी हैं हैं क्योंकि यह विषय जीवन से जुड़ा हुआ हैं | हमने जो नव भारत का सपना देखा उसके लिए यह घटना बेहद गंभीर हैं हमे अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को उच्च स्तर प्रदान करना होगा | बढती तकनीकी में हम कहा हैं यह सोचना अति-आवश्यक हैं |
उतर प्रदेश के मुज्जफरनगर जिले में हुई रेल दुर्घटना तथा और भी अनेक रेल बेपटरी हुई जिसमें सैकड़ो लोगो कि जाने गयी यह किसी सरकारी लापरवाही से कम नही हैं | देश में रेल परिवहन कितना सुरक्षित हम इन हादसों से पता लगा सकते हैं | हम बुलेट ट्रेन चलाने कि बात को हवा देते हैं यह गलत नही हैं कि हम इन उच्च तकनीकि वाली रेलों के बारे में सोचे लेकिन जो वर्तमान में रेल परिवहन हैं उसमे विस्तृत सुधार कि आवश्यकता हैं |लोगो कि सुरक्षा किसी भी लोकतान्त्रिक सरकार कि अहम जिम्मेदारी हैं जिसे उसे पूर्ण-रूपेण निभाना होता हैं | लेकिन मूल प्रश्न फिर भी अपनी जगह बना हुआ हैं कि आखिर रेल दुर्घटनाएं रुकेगी कैसे? अगर षड्यंत्र रचे जा रहे हैं तो उसे रोकने के सरकार के पास उपाय होना जरूरी हैं | क्या केवल कारण बताकर वह अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटक सकती हैं? सरकार के पास खुफियां तन्त्र,सुचना तन्त्र,सुरक्षा बल हैं कि वह असामाजिक तत्वों को पहचानने और उन पर लगाम लगाए | केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय ने अतीत में होने वाले हादसे कोई खास सबक नही लिया हैं |ट्रेनों में यात्री सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद हकीकत इसके उलटे हैं | सुरक्षा का यह दूसरा पहलु भी एक राष्ट्र को नही दिशा प्रदान करने में चुनौती देता हुआ नजर आ रहा हैं |
बिहार और उतरप्रदेश में बाढ़ के कहर से हुई सैकड़ो मौतों से देश के इन राज्यों ने अव्यवस्था का माहौल हैं | बाढ़ प्राकृतिक आपदा हो सकती हैं | विकास प्रक्रिया के कतिपय दोषों के कारण इसका स्वरूप विकराल भी हो सकता हैं ,लेकिन इस पर नियंत्रण करने का कार्य कठिन होते हुए भी ,दुर्जेय नही हैं | सुव्यवस्थित आयोजन एंव कार्यनीति को अपना कर ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कि जा सकती हैं कि बाढ़ एंव जल आप्लावन कि स्थिति उत्पन्न न हो |
हरियाणा के सिरसा डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत राम रहीम से जुड़े साध्वियों के यौन शोषण के मामले को लेकर पंचकुला कि स्पेशल सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाते हुए गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया हैं | हजारो समर्थकों के उपद्रव ने सरकारी और निजी सम्पति को जो नुकसान पहुंचाया हैं वो बहुत निंदनीय हैं | 30 से अधिक मौते हो चुकी हैं तथा सैकड़ो लोग घायल हो गये हैं| जनजीवन असुरक्षा कि भावना में जी रहा हैं | सरकार कि कई न कई लापरवाही रही होगी कि इतनी लाखों कि भीड़ जुट गयी तथा पल भर में मौहाल बदल गया तथा मिडिया व सुरक्षा बलों को निशाना बनाया |
नव भारत का सपना एक नई उमंग के साथ सच हो ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए| बेशक ! हम उन स्वतंत्रता सैनानियों तथा महापुरुषों को नया भारत समर्पित करना चाहते हैं जो उनके लिए यह किसी तौह्फे से कम नही होगा |
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