आँचल तड़फ रहा हैं...



जलती मोमबत्तीयां, जल कर फिर बूझ रही है
करुणा की आग फिर मचल रही हैं
माँ तेरी पुकार हवा सी  बह गयी हैं
आँचल तड़फ रहा हैं

सौंदर्य की यह बौखलाहट तड़फ रही हैं
कन्या होने की भूल सता रही हैं
हिंदुस्तानी बेटों तुम यह क्या कर रहे हो
आँचल तड़फ रहा हैं...

महज शरीर से शरीर की तो टकराहट हैं
बस रब की यह अनुपम बनावट ही तो हैं
यह रूप,मलाल,कसावट ख़ुदा की तो हैं
बस कुछ नही ,आँचल तड़फ रहा हैं...

देखो वो कभी न थकती,बुझती
वो उसी आँचल में ही तो पली हैं
जहां हम सब की जिंदगानी तय हुई थी
फिर से वही आँचल तड़फ रहा हैं...

सन्नाटे के परिसर में बहक जाती हैं ममता
हद हो जाती दरिंदगी की , इंसानियत की
टूट जाता हैं अटूट का अप्रतिबंधित प्रेम
यूँ ही मर जाती हैं जीवन की  धाराएं
आँचल तड़फ रहा हैं..

नौच कर फैक दी जाती हैं एक टुकड़े तरह
प्यारी, प्रेमाश्रयी,निर्दोष, एक निर्भया की तरह
कल तक आज तक अखबारों में कतरनों की तरह
 दरिंदों ! आँचल तड़फ रहा हैं...

रुलाया जाता हैं रूहों को बेहिसाब, बेमतलब बहसों में
यह कोख का दर्द हैं सियासतदानों का नजारा नही
न्याय के लिए भटकती आत्माएं हैं कोई सुनवाई नही
देखों! आँचल तड़फ रहा हैं..

जीने के इरादे से रचा यह व्यूह, दिलकश नजारे में
भावुकता के उजियारे में वात्सल्य के गौद में
आँचल तड़फ रहा हैं...

हिंदुस्तान र्बेशर्मी की हद हैं , तेरे इस प्यार में
भेद के इस बेक़रार में न्याय चाहिए बेटियों को ...
आँचल तडफ़ रहा
#UnsafGirl ||#UnsafeWomen ||#IndianSociety

Shoukat Ali Khan

Post a Comment

0 Comments