लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में ...

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दरिंदगी ! हैवानियत ! कुकृत्य !
है ! मानव उत्पादक यह कौनसा परिणाम है ? तेरे दान का ?तेरे होने का ? एक हैवानियत से सरोबार जब इंसानी दरिन्दा आत्मविश्वास से लबरेज होकर किसी कुकर्म को अंजाम देता है तो इससे क्या साबित हो सकता है? क्या उसका आत्मविश्वास किसी साजिश का हिस्सा होगा ? या फिर उसके सनकीपन का ब्यौरा ? सवालों के जवाब इंसानियत की किताबें में तो मिलने मुश्किल है ।
खैर ! मेरे पास है लेकिन क़लम इजाजत नही देती ,मन करता है है लेकिन कलम फड़फड़ाती है, संतोष से भर उठता हूँ फिर वही ख़्याल किसके लिए और कौन पढ़ेगा ?
यहाँ तो मानवीय बसेरा हैवानियत के आतंकवाद में बिखर गया हैं। मुझे मेरा मजहब हिंसा की इजाजत नही देता। क्या आपका धर्म? खुद से पूछियेगा ? तथाकथित ठेकेदारों से नही ! सियासत के हुक्मरानों से नही ! सुनहरे भविष्य को संजोए जब मनुष्य ज़मीन पर पैर धरता है तो उसका परिवार उसका वजूद  हो जाता है ..अंतिम अवस्था तक लेकिन जब वजूद बना रहे और मानव ख़त्म हो जाए तब क्या होगा? 

  🖋 Shoukat A. Khan

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