मीडिया लोकतंत्र की “चौथी संपत्ति” है और यह समाज के आंतरिक वर्गों तक अपनी पहुँच से सरकारी नीतियों के न्याय और लाभ सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वे सरकार और देश के नागरिकों के बीच एक श्रृंखला के रूप में कार्य करते हैं, लोगों को मीडिया पर विश्वास होता है
भारत जैसे एक जीवंत लोकतंत्र में एक स्वतंत्र और नियंत्रण-मुक्त प्रेस की आवश्यकता वास्तव में जरूरी है। जब से हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान निर्धारण करने की शुरुआत की, तब भारत सरकार के दृष्टिकोण पर मीडिया की भूमिका पर गर्मजोशी से बहस हुई।
आज के परिपेक्ष्य में मीडिया अपनी अस्मिता और अस्तित्व को बचा पाने की कोशिश करे तो बेहतर रहेगा। बहुदलीय शासन में मीडिया व्यापार व राजनीतिकरण की अंध व्यवस्था में लिप्त है। जो आशा देश की जनता मीडिया से आशा करती है वो असफल साबित हो रही है जो देश के स्वच्छ लोकतंत्र के लिए भयानक है।
मीडिया का जिंदा रहना जरूरी है...!!
-शौक़त
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