चाँद



चाँद
अपने घराने का
एक नायाब हिस्सा है
उन सब मे यही एक है
जो रोशनी लुटाता है।

मज़हब की बात इसे भाती नही
इस द्वंद्व का यह विरोधी किरदार।

ईद तय होती है चाँद के निकलने के बाद
सर सज़दे में झुक जाते है एलान के बाद

पूनम की रात में आसमां में यह अपना राज करता है
कितना नटखट है हर त्यौहार खुद के नाम करता हैं

कोई इससे गुप्तगू भी करता है
सच मे यह भी समझता है
मेरा वास्ता है तुझसे तू जल्दी निकल आ
लम्बी उम्र की मैं फरियाद मेरे दिल से करती हूं।

ओ ! चाँद

तेरी चमक की बुनियाद पे कायम रहे यह जहाँ
हम तुझसे बड़ी उम्र मांगते है,तेरी भी बड़ी उम्र रहे !

~ शौक़त

#KarwaChouth #करवाचौथ

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