दिल्ली हिंसा

तुमनें सुना होगा कि वो मर गया,सिर्फ तुम्हारे सुनने भर से काम नही चलेगा !

सुनिए !

जब कोई मरता है तब वह मरता ही नही, साथ मिट्टी भी रोती है,जिससे वह बना है, आसमाँ फिक्र करने लगता है,घर सूना हो जाता है, मुहब्बत तबाह हो जाती है, कभी कभार माँ बेऔलाद हो जाती है,बाप के ह्रदय का रक्त पराया होने लगता है. इस मोड़ पर मरना कितना नाजुक है.हम सभ्य है या असभ्य? हम न्यायिक है या गैर न्यायिक?

तुम्हारें एक नफरत भरे बोल ने बस्तियाँ जला दी है,उन बस्तियाँ में पेट मे गाँठे दे देकर कमाई की तस्सली है और जीवन की पराकाष्ठा !!

मुहब्बत और अमन पे तुम कलंक हो

ओ दरिंदो !!

#Delhi #DelhiViolence  #DelhiRiot2020
#दिल्लीहिंसा

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