कोरोना का क्रूर करतब


 पूरा पढ़िए ! 

आइये! सतर्क हो जाइए, सम्भल जाइये, घर परिवार को नसीब के हत्थे ना चढ़ने दे,हमारी जिंदगी ही हमारी विरासत हैं.

रोहित हट्टे-कट्ठे, स्मार्ट और खूबसूरत एंकर थे. आज चल बसे यह बता कर कि हमारा स्वस्थ और फिट होना बीमारी/महामारी के आगे बौना हैं. यह अनहोनी खुदा से हमें नामंजूर हैं. वो शख्सियत थे इसलिए उनकी मौत आज देश मे चर्चा का विषय बन गयीं हैं वरन देश मे हजारों लोगों का इंतकाल और त्राहिमाम सुनकर बस  सतर्क हो जाते थे कि कोरोना के मामलें बढ़ रहें हैं. अखबारों वालों का भला हो क्योंकि वो सतर्क करने वाली न्यूज़ लगातार पहुंचा रहे हैं.

आज देश मुश्किल वक्त से गुजर रहा है. जिंदगी और मौत सोशल मीडिया के ट्रेड शब्द बन गए हैं. इतना बड़ा सिस्टम, इतनी बड़ी लोकतांत्रिक विरासत और उससे बड़ी भावनाएं सब कुछ बौने हैं प्रकृति और महामारी के आगे.

ऑक्सीजन, वेंटिलेटर जैसे अनजाने शब्द गाँव- ग्रामीण से लेकर शहर की वीआईपी कॉलोनी तक गूंज रहे हैं. इनका मिलना नसीब पे निर्भर हो गया है. 

सिस्टम बड़ा है लेकिन इस जनसंख्या के आगे शून्य हैं लेकिन हम इतना तो कह सकते हैं कि हमारा पर्यटन अस्पताल होने चाहिए,हमारी उपलब्धि क्वॉलिटी ऑफ बेड होनीं चाहिए. बड़े- बड़े, विश्वस्तरीय अस्पताल कहूँ तो अच्छा रहेगा, हमारे समाज के लिए स्वच्छता और सतर्कता एक तहजीब होनी चाहिए.

रोहित भाई- सदा याद रहोगे,इतनें क्यूट परिवार को छोड़ जाना भाया नहीं हमें.  ख़ैर, हमारी दुआएं परिवार को हौसला देगी.

जलती चिताएं और गर्म कब्रों का सिलसिला जल्द बन्द हो, ऐसी दुआएं.

आपका अपना

- शौक़त


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