प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मेरे भाग्यवादी मित्रों के लिए मेरी डायरी का चतुर्थ पन्ना

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मेरे भाग्यवादी मित्रों के लिए मेरी डायरी का चतुर्थ पन्ना:-
      “यूँ ही नही मिलती राही को मंजिल,एक जूनून सा दिल में जगाना होता हैं,
      पूछा चिड़िया से! कैसे बनाया आशियाना, बोली! भरनी पडती हैं ऊडान बार-बार
      तिनका-तिनका उठाना पड़ता हैं|”
प्रिय मित्रों! आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं ,जिसकी जरूरत प्रत्येक व्यक्ति को होती हैं, वह हैं :- अच्छा व्यक्तित्व| जीवन के प्रत्येक क्षण में सफल होने के लिए अच्छे व्यकित्व का होना अति-आवश्यक हैं |दोस्तों,यह मुद्दा इसलिए लिया हैं, क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के सामने अक्षर यह समस्या रहती हैं कि वे किस प्रकार से अपने व्यक्तित्व को शानदार बनाएं अर्थात् किस प्रकार से उसे नवीन रूप प्रदान करे यधपि यह विषय अभ्यर्थियों को परीक्षा के तीसरे भाग यानि साक्षात्कार में सहायता करता हैं तथापि एक सुन्दर जीवन निर्माण में भी अपनी भूमिका निर्वहन करता हैं|
          चूँकि मैं भी सिविल सेवा परीक्षा का अभ्यर्थी हूँ, मैंने इस इम्तिहान में सफल व्यक्तियों के अनुभव प्राप्त कर सोचा कि क्यों नही? मैं भी मेरे ज्ञान को को अपने साथियों से शेयर करूं|
       व्यक्तित्व से तात्पर्य हैं :- मुखौटा ,चेहरा यानि व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान, उसके द्वारा किये गये कार्यों से होती हैं,उसका चलना ,उठाना,बैठना,रहना  आदि से यह जानकारी मिलती हैं कि व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा हैं? सिविल सेवा के मायने से हम यह जानते हैं कि उम्मीदवार साक्षात्कार बोर्ड के सामने प्रस्तुत होता तब बोर्ड के सामने अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व के साथ अपने प्रस्तुत करने की समस्या रहती हैं  ?
     व्यक्तित्व निर्माण की श्रंखला जीवन की शुरुआत से ही प्रारम्भ हो जाती हैं| हमारे परिवार और शिक्षा के, वक्त तत्पश्चात समाज में हम किस प्रकार के व्यक्तित्व के साथ हम अपने आप को प्रस्तुत करते हैं| वहाँ हमारे आस-पास के परिवेश में किस प्रकार से हम निवास करते हैं| हमारे साथ रह रहे लोगो का व्यवहार कैसा हैं? क्या यह हमारे से सीनियर हैं? हैं तो यह भी किन-किन के साथ अपनी दिनचर्या गुजारते हैं | व्यक्तित्व निर्माण की जानकारी ना हमे रंग बिरंगी किताबो में मिलेगी नही ही  किसी के द्वारा अर्जित करने पर| इसके निर्माण के लिए हमे हमारी हर गतिविधियों के साथ हमे प्रस्तुत करना पड़ेगा,साथ ही जीवन में उतारने का हर सफल प्रयास किया जाना होगा |
दोस्तों! हमारी सफलता सिर्फ ढेर सारी किताबों में ही निहित नही हैं की जो पूरी-पूरी रात पढाई करे तथा बंद कमरे में रहकर सिर्फ पौथियो से बाते करे Not A Tall यदि आप ऐसी तैयारी करते हो तो, यह निरर्थक हैं|
आईएएस की तैयारी करने वाले उम्मीदवार जब सफलता के अंतिम पड़ाव पर अपने नकाब को ऊपर कर के साक्षात्कार बोर्ड के सामने अपने आप को प्रस्तुत करने के लिए जाते हैं तब हम देखते हैं कि अधिकतर उम्मीदवारो के मुहँ से लेकर पैर तक शरीर पसीने से लबालब हो जाता हैं कि मानो गंगा नदी ने अपने उदगम से अभी ही हुँकार भरी हो| आख़िरकार ऐसा क्यों? क्योंकि हमारे व्यक्तित्व पर हमे विश्वास नही हैं,ना ही हम अपने आप को परिस्तिथियों में सम्भाल पाते हैं |
      हमारे अंदर के हौसले को नितांत बरकरार रखा जाये | अभ्यास ही एक मात्र ऐसा माध्यम हैं जिससे हम अपने आप को निर्मित कर सकते हैं | हम जिस किसी भी से मिले चाहे पांच मिनट ही क्यों नही हमे उसके साथ ऐसी प्रस्तुती देनी होगी कि हमारे मिलने के पश्चात हमारे साथ बिताए वह पांच मिनट जिन्दगी भर ना भूले तथा कहने को मजबूर हो कि आज जिस मै बच्चा\बच्ची से मिला हूँ उसमे आग हैं! वो बहुत आगे जायेगा\जाएगी तब मानेंगे कि हमारी तैयारी सार्थक हैं वरन गली के कुत्ते से भी बेकार जो अपने बेठने के स्थान को भी साफ कर चैन की नींद सोता हैं सुबह उठकर अपने बच्चो के लिए रोटी का जुगाड़ करता हैं| यह पंक्तियाँ इस सच मौके पर कहना चाहता हूँ कि :-
“बागडोर के हौसले,दूर तक सदा साथ देते हैं ,
कामयाबी के सिलसिले मंजिल का पत्ता देते हैं|” 
         आरएएस मुख्य परिक्षाए समाप्त हो चुकी हैं, जो मित्र इस परीक्षा में बैठे थे वे बिना परिणाम का इंतजार करे आपने आप को साक्षात्कार के लिए तैयार रखे| समर्पित कर दे! अपने आप को कि हमे कामयाब होकर ही वापस घर लोटना हैं| बस कुछ नही करना समसामयिक घटनाओं के साथ अच्छे लोगों से मिले तथा सफल व्यक्तियों से मुलाकात करे तथा उनसे अनुभवो को ग्रहण करे और समूह चर्चा करे| इंटरव्यू की तैयारी ना ही किताबो में है, और नही चैक-जैक में, इसकी तैयारी तो अपने आपके ”आत्मविश्वास” से हैं जो आपको दूर-दूर तक पहुंचाएगी जिसका आपको वर्षों से इंतजार था|
  “कभी किसी को मुक्क्मल जहाँ नही मिलता,
   किसी को जमीं तो किसी को आसमां नही मिलता”
                                        -निदा फाजली
                                                       -शौकत अली खान,तेजा की बेरी
                                                           स्नातक(बीए) प्रथम वर्ष

                                                           सुबोध पीजी कॉलेज,जयपुर                                     

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