हर रोज़ कि तरह से वो वक्तव्य फिर से यादरहेगा, जिसकी आस में कल्पेश जी के लेख को पढा जाता था,सच मे "असम्भव के विरुद्ध" उनका कॉलम #दैनिकभास्कर को न केवल पहचान दिला गया साथ ही इसके माध्यम से याग्निक साहब पाठकों के दिल मे रच बस गए थे,उनके द्वारा सुनहरे शब्दों को,भाषा के माध्यम से इस तरह पिरोया जाता था कि रोज ही फ़िर से लिखा जाए इन हाथों से... बेबाक़ लेखनी उनकी पहचान बन गयी थी और अंत तक उनके साथ भी रही। भास्कर को नवाचारों के माध्यम से उज्ज्वल करने वाले याग्निक जी की सकारात्मक लेखनी ने भास्कर को 'नो-नेगेटिव न्यूज़' सिर्फ सकारात्मक के साथ सप्ताह की शुरुआत दी जो एक ज्ञानात्मक भावनाओं से लबरेज़ प्रयोग था ।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बहाने मैं उनके शब्दों से व्यक्तिगत मुख़ातिब हुआ, अच्छा लगा सुनकर उन्हें,बेदाग़ पत्रकारिता के धनी आदरणीय कल्पेश जी ने हर पाठक को अपने मे जिया और मुद्दों को अपने लेखों बेदाग़ पनाह दी ।
पत्रकारिता युग के अविरल व्यक्तित्व आदरणीय #कल्पेशयाग्निक जी को अश्रुपूरित आदरांजलि,इस महान आत्मा के द्वारा किए हुए को हर पत्रकार अपने दिल में उतारे, निःसन्देह ! यह युग महान से महानतम बन जाएगा ....
खैर !! श्रद्धांजलि .....💐
© Shoukat Ali Khan
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