आप जानते हो क्या इस मुल्क में 'असवैंधानिक होना' 'बईमान होने' से जुड़ा हुआ है,..

आप जानते हो क्या इस मुल्क में 'असवैंधानिक होना' 'बईमान होने' से जुड़ा हुआ है,चाहे क्यों न वह एक संस्था हो या फिर व्यक्ति विशेष.....

देश मे नागरिकता कानून मुक़म्मल हो चुका है परिणामस्वरूप शहरो में हिंसक प्रदर्शन हो रहे है खासकर पूर्वोत्तर और राजधानी दिल्ली में। जामिया यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की दिल्ली पुलिस से झड़फ अखबारों की सुर्खियों में है। हिंसक विरोध लोकतांत्रिक नजरिये से नाजायज़ था लेकिन प्रतिरोध, जिस्मछलनी के लिहाज से यह विरोध जायज है, ख़ैर ! कौन दोषी है आप स्वयं तय कर लीजिये।

देशभर में नागरिकता कानून को लेकर छिड़ी बहस के मध्य किसी विशेष निर्णय तक पहुंच पाना अभी तक तय नही हो सकता क्योंकि संविधानविद्ध स्वयं दो हिस्सों में बंट चुके है। जिनमें कानून के पक्ष में यह दलील दी जा रही है कि यह पड़ोसी मुल्क पाक,अफगान व बांग्लादेश से आए उत्पीड़ित हिन्दू,जैन,बौद्ध, सिख,ईसाई लोगो को भारत मे नागरिकता देना है। और बताया जा रहा है कि संविधान सिर्फ देश के नागरिकों पे लागू होता है कुछ मामलों में छोड़कर। वही कैब का विरोध करने वालो का मानना है कि यह देश के संविधान की प्रस्तावना में प्रतिपादित 'धर्मनिरपेक्षता' 'समता' तथा अनुच्छेद 14, व 15 के ख़िलाफ़ है और इसमें इस्लाम धर्म को नही जोड़ा गया हैं।

संविधान देश की जनता का आइन है तथा विश्व के समक्ष शालीन व सभ्य,लोकतांत्रिक होने का प्रमाण है। इस लिहाज से गर संविधान के आदर्शों में खलल डालने की कोशिश होती है तो वो देश के स्वतन्त्रता संग्राम को जलील करने तथा सविंधान निर्माताओं को असमान देने के समान है। चाहे इसमें हिंसक पर्दशन ही क्यों न हो।

संविधान से परे बौद्धिक लोग यह कहते है कि सरकार किस मंशा से काम कर रही है। टारगेट क्या है? क्या सरकार एक विशेष वर्ग को टारगेट कर रही? जो है उज़ागर हो क्योंकि यह ईमान का तत्व है। इससे परे बईमानी ही है इसलिए सिद्धांतों का पर्दाफाश हो...

राजनैतिक लिहाज से हिंसक विरोध नाजायज़ है बौद्धिक मन से विचारणीय है। हिन्दू-मुस्लिम असल मे इस देश मे आजकल सत्ता प्राप्त करने के हथियार बन गए है लेकिन सनद रहे यह देश को बदनाम करने के मशविरे है। सत्ता अर्थव्यवस्था,गरीबी,प्रसन्नता और बेहतर जनसांख्यिकी परिणाम की बुनियाद पे होती है।

इस मुल्क की मिट्टी ने अजीम कुर्बानिया दी है और वो कुर्बानिया बिना मजहबी द्वंद्व के रही है इसलिए यह जो संविधान के मूल्यों के साथ छेड़छाड़ हो रही है या फिर हिन्दू मुस्लिम घृणा के चूल्हे जो जल रहे है हो बहुत कष्टदायी है दूरगामी परिणाम मजहब से परे भारत देश को नुकसान पहुंचाएगा।

अपनी संस्कृति और अपने मूल्यों को संजोए रखे भविष्य के भरम में वर्तमान की चिंताओं को दूर करे।

कानून नागरिकता देने का हो सकता है लेकिन छीनने का नही,ईमान जिंदा रखे..

जो तटस्थ है
समय लिखेगा उनका भी अपराध !

~ शौक़त अली
#CitizenshipAmmendmentBill2019
#CABProtests #JamiaProtest

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