वो लड़का

वो लड़का...

उसकी आँखों को बार-बार देखता है
लेकिन उसने देखा नही
आँखे बनाने वाला एक ही था

वो उसके चेहरे को बार-बार निहारता है
लेकिन उसने देखा नही
चहेरे की बनावट में किसकी नक्काशी थी

वो उसके जिस्म को बार-बार देखता है
लेकिन उसने देखा नही
जिस्म उसकी नियत का परिणाम है

वो उसके इश्क़ में शरीक होना चाहता है
लेकिन उसने देखा नही
इश्क़ में कैसे मकबूल होया जाता है

किसी लड़की के चेहरे से परे
उसकी अंतरात्मा में उपजे इश्क का वजन
किसी लड़के के चेहरे और वहशीपन से कहीं गुना
ज्यादा होता है।

-शौक़त

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