लोकतंत्र यह कहता है कि आप उस व्यक्ति तक पहुंचिए जो जनतंत्र का असल हकदार है जिसे चाहिए एक सहारा,जिसके बुते वो 'लोकतांत्रिक नागरिक' कहला सके, दो वक्त की रोटी और उसकी आमदनी निरन्तर बरकरार रहे बस ! यही चाहत है उसकी।
उसकों नही तो बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं से मतलब है ना ही घर में लग्जरी कार से,बस उसके बच्चे अच्छी शिक्षा के आदी हो जाये और पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो जाये।
लोकतंत्र यह चाहता है कि मेरे बन्दों अथार्त मेरे चाहने वालो का गलत इस्तेमाल न हो, यह असल मे तब होता हैं जब चुनाव नजदीक होते है। जाति, धर्म,भक्ति,और धनबल के इर्दगिर्द लोकतंत्र के बन्दे घुमाये जाते है फलतः वे इसके शिकार होने पर मजबूर हो जाते है। निष्पक्ष और निर्भय मतदान में खलल पैदा होती है।
इन सबसे परे एक शिक्षा/इल्म ही एक ऐसी चीज है जिसके बल पर लोकतांत्रिक भक्ति को समझने में आसानी होगी।
यह सब इसलिए कि हमारे पुरखों ने लोकतंत्र को स्वीकारा है वे गलत नही थे, परिणाम यही है कि सवा सौ करोड़ का यह देश अनवरत ! निर्भय ! सम्प्रभु ! होकर प्रगति कर रहा है।
-शौक़त
उसकों नही तो बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं से मतलब है ना ही घर में लग्जरी कार से,बस उसके बच्चे अच्छी शिक्षा के आदी हो जाये और पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो जाये।
लोकतंत्र यह चाहता है कि मेरे बन्दों अथार्त मेरे चाहने वालो का गलत इस्तेमाल न हो, यह असल मे तब होता हैं जब चुनाव नजदीक होते है। जाति, धर्म,भक्ति,और धनबल के इर्दगिर्द लोकतंत्र के बन्दे घुमाये जाते है फलतः वे इसके शिकार होने पर मजबूर हो जाते है। निष्पक्ष और निर्भय मतदान में खलल पैदा होती है।
इन सबसे परे एक शिक्षा/इल्म ही एक ऐसी चीज है जिसके बल पर लोकतांत्रिक भक्ति को समझने में आसानी होगी।
यह सब इसलिए कि हमारे पुरखों ने लोकतंत्र को स्वीकारा है वे गलत नही थे, परिणाम यही है कि सवा सौ करोड़ का यह देश अनवरत ! निर्भय ! सम्प्रभु ! होकर प्रगति कर रहा है।
-शौक़त
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