रेगमाल : मानवीय संवेदनाओं का समंदर
साहित्य का एक अपना महत्त्व है और उसमें कविताओं का स्थान सर्वोच्च है. कविता का भाव और सीख कवि के व्यक्तित्व को दर्शाता है. जितने भी कवि हुए हैं, सभी ने अपनी कृतियों में बेहतर से बेहतर लिखने की कोशिशें की हैं. इसी फेहरिस्त का एक चमकता-दमकता सितारा है डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी, जिनकी हाल ही में प्रकाशित कृति 'रेगमाल' उनकी अनुपम कृति है.
'रेगमाल' में डॉ. सोनी ने जिंदगी की तमाम सच्चाइयों को कलमबद्ध करते हुए अपनी संवेदनाओं को प्रकट किया हैं. भूमिका में अशोक वाजपेयी कहते हैं कि कविता ने मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ा। अगर कौशल और दृष्टि हो तो जीने का हर मुकाम, पूरा-पड़ोस, लोग-बाग, पशु-पक्षी, वनस्पतियाँ, नदी-पर्वत, जंगल ब्रह्माण्ड आदि सभी कविता में बांधे जा सकते हैं और उन्होंने लिखा है कि हर समय कविता का समय है।
अशोक वाजपेयी की उक्त लाइनें डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी की इस कृति में प्रतिबिंबित होती हैं। चूंकि डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी पेशे से आईएएस हैं इसलिए वे मेहनत की भट्टी में पककर आज इस मुकाम पर हैं. बहुआयामी कौशल उनके रग-रग में बसा हुआ है और यही कौशल उनकी कविताओं में झलकता है।
'रेगमाल' संवेदनाओं से सरोबार संग्रह है, जिसमें इंसान की तकलीफें बखूबी वर्णित हैं. उन्होंने 'रेगमाल' में आम से खास बनने, हर वर्ग, सजीव-निर्जीव तक को कलमबद्ध कर उनकी सच्चाइयां और हौसले को बयां किया है।
परिवार, मुश्किलों से लेकर कामयाबी, इंसान से लेकर जानवर, पशु-पक्षी सभी के रंग-बिरंगे ख़याल, ख्वाहिशें और हौसले कलमबद्ध किये हैं। अधिकतर कवि एक वर्ग या विषय विशेष के संदर्भ में कवितायें लिखते हैं जिससे पाठकों का मन उबाऊ होने लगता है और गर वे सभी को समेट भी लेते हैं तो वो अपनी भावनाओं से कविताओं को पाठक से जोड़ नहीं पाते जिससे उनका उद्देश्य अधूरा रह जाता है।
डॉ.जितेंद्र कुमार सोनी की एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती है जो उनसे जुड़े रहने का नशा और खुमार है, वह है संवेदनशीलता। उनकी कविताओं में जमीनीपन, संवेदनाएं और वो बातें जो इंसान के जिंदगी में कभी न कभी घटती हैं उनको लिखा है। उदाहरण के रूप में कहूँ तो किसान, सड़क किनारे की बस्तियाँ, झुग्गी-झोपड़ियाँ, गरीब मजदूर, के बारे में उनकी सच्चाइयां भाव-विभोर कर जाती हैं।
युवाओं का हौसला, दुखियारों को दिलासा, गरीब की पीड़ा, कामगारों की तड़फ, शोषितों को क्रांति करने, बेजुबानों से लगाव, मजहबी द्वंद्व से इतर सौहार्द्र, यह सब रेगमाल की खूबी हैं इसे जो भी पढ़ता है वो जीवन की सच्चाइयों से मुख़ातिब होता है, इंसान बनना ही रेगमाल का उद्देश्य है।
भाषा देखी जाए तो डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी की हर कृति में हिंदी-उर्दू का समिश्रण दिखाई देता है और रेगमाल में भी ऐसी ही मिश्रण है। उनका यह भाषायी कौशल क्लिष्टता लिए लेखकों, कवियों के लिए सबक है क्योंकि हिंदी-उर्दू का समिश्रण पाठक के दिल पर प्रभाव छोड़ता है और एक भाषा विशेष की झलक सिर्फ़ आंख और मन को सुकून देती है।
फलतः रेगमाल रूपी इस बहुआयामी संग्रह की जितनी भी विशेषताएं हैं वे सभी कवि के निजी अनुभवों, यायावरी जीवन, जमीनी स्तर से उठकर आईएएस तक के सफर के अनुभवों को दर्शाती हैं। कवि सिर्फ कवि नहीं है वो उसके साथ उम्दा फोटोग्राफर खासकर वाइल्ड लाइफ, मोटिवेशनल स्पीकर, सिविल सेवक और शानदार व्यक्तित्व भी हैं।
इस बेशुमार दार्शनिक फैलाव वाले कवि को मैं भी मन में बसाना चाहूँगा और भी चाहेंगे ...
दुआएं!
1 Comments
बहुत ख़ूब
ReplyDelete